Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2020 · 1 min read

पत्थर

पत्थर
*****

किरचें बन दिल बिखर गया था,
मन भीतर तक सिंहर गया था।
नैन बने थे सावन भादों ,
कितना आलम गुजर गया था।

तब आये तुम प्यार जताने,
जख्मों को मेरे सहलाने।
अन्तर मन का बोझ उठाकर,
बात लगे अपनी समझाने।

खूब तपाया अंगारों पर ,
मार हथौड़े टंकारों पर।
भीतर बाहर उलट पुलट कर,
ध्यान लगाया झंकारों पर।

आगे पीछे ऊपर नीचे,
परखा तुमने पूरा जी से ।
कड़वा जहर गमों का देकर,
कर डाले सब कोने रीते।

पत्थर से पारस कर डाला ,
अमृत से भर दी मधुशाला।
अंह का बीज मिटाकर मन से,
एक पिलाया जाम निराला।

हृदय पर तू राज करे है,
मन मन्दिर में बास करे है।
पाकर तेरी रहमत ‘माही’ ,
खुद ही ख़ुद से बात करे है।

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 435 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Pratibha Mahi
View all
You may also like:
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य
Dr.Rashmi Mishra
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️⛰️🏞️🌅
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️⛰️🏞️🌅
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हयात कैसे कैसे गुल खिला गई
हयात कैसे कैसे गुल खिला गई
Shivkumar Bilagrami
खुल के सच को अगर कहा जाए
खुल के सच को अगर कहा जाए
Dr fauzia Naseem shad
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
मनोज कर्ण
3) मैं किताब हूँ
3) मैं किताब हूँ
पूनम झा 'प्रथमा'
......,,,,
......,,,,
शेखर सिंह
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी की १३२ वीं जयंती
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी की १३२ वीं जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
The_dk_poetry
समीक्षा- रास्ता बनकर रहा (ग़ज़ल संग्रह)
समीक्षा- रास्ता बनकर रहा (ग़ज़ल संग्रह)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आइन-ए-अल्फाज
आइन-ए-अल्फाज
AJAY AMITABH SUMAN
💐 Prodigy Love-25💐
💐 Prodigy Love-25💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धरा और हरियाली
धरा और हरियाली
Buddha Prakash
इस दरिया के पानी में जब मिला,
इस दरिया के पानी में जब मिला,
Sahil Ahmad
स्वभाव
स्वभाव
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रदीप माहिर
2936.*पूर्णिका*
2936.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Yashmehra
Yashmehra
Yash mehra
"लेखनी"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य कहाँ ?
सत्य कहाँ ?
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
Sakhawat Jisan
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
शायर देव मेहरानियां
■ यादों का झरोखा...
■ यादों का झरोखा...
*Author प्रणय प्रभात*
"इशारे" कविता
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तुम्हारी निगाहें
तुम्हारी निगाहें
Er. Sanjay Shrivastava
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
Ravi Prakash
इतनी खुबसूरत नही होती मोहब्बत जितनी शायरो ने बना रखी है,
इतनी खुबसूरत नही होती मोहब्बत जितनी शायरो ने बना रखी है,
पूर्वार्थ
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
Neelam Sharma
Loading...