कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
तुम्हारी याद है और उम्र भर की शाम बाकी है,
ये जो तेरे बिना भी, तुझसे इश्क़ करने की आदत है।
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
*महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है 【गीत】*
सकुनी ने ताउम्र, छल , कपट और षड़यंत्र रचा
अपने आंसुओं से इन रास्ते को सींचा था,
जब मैं तुमसे प्रश्न करूँगा,
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ये सूरज के तेवर सिखाते हैं कि,,
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
आज जिंदगी को प्रपोज़ किया और कहा -
सच हमारे जीवन के नक्षत्र होते हैं।
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
समय के पहिए पर कुछ नए आयाम छोड़ते है,
23/161.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में