“पतंग”
पतंग
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पतंग होता सदा , रंग-बिरंगी;
ये होता है,बच्चों के हमसंगी।
पतंग उड़ता, हवा-प्रकाश में;
जो निकले , रवि आकाश में।
जो खींचें रवि, पतंग की डोर;
तब पतंग नाचता, चारों ओर।
टूटते जब कभी , इसके धागे;
तेजी से पतंग, सदा दूर भागे।
जब भी,आपस में लड़े पतंग;
तब ही , कभी कटे यह पतंग।
जब कहीं कटते , कोई पतंग;
सब लूटने दौड़े, करते हुरदंग।
पतंग होती , बच्चों को प्यारी;
मेरी पतंग , घूमे दुनिया सारी।
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…..✍️प्रांजल
…….कटिहार।