पतंग और मैं
पतंग और मैं
// दिनेश एल० “जैहिंद”
मैं बाला उमंगों की लड़ी,
मैं पतंगों-सा उड़ जाऊँगी !
मैं बादलों को छूके आऊँ,
ये दुनिया को बतलाऊँगी !!
दुनिया को पतंग के जैसा,
मैं दोनों हाथों से नचाऊँगी !
मेरा जलवा देखेगी दुनिया,
जग को ऐसे मैं घूमाऊँगी !!
समझ ना मुझे ऐसे नादान,
पेंच लड़ा-लड़ाकर मारूँगी !
ये काटा, वो काटा, ऐसे मैं,
नील-गगन के पार जाऊँगी !!
डोरी रूपी भेजे में माँझा,,
माँझे से द्वेषी को हराऊँगी !
छोड़ के पीछे सबको अब,,
पतंग अपनी ले उड़ाऊँगी !!
मेरी लटाई, मेरी पतंग है,,
मेरी अब डोरी भी होगी !
मेरा कौशल, मेरी हस्ती है,
शहेनशाह ही नारी होगी !!
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दिनेश एल० “जैहिंद”
15/01/2020