Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2023 · 5 min read

पंचगव्य

पण्डित शीलभद्र जिधर निकलते गांव वाले क्या बूढ़े जवान बच्चे सभी चिढ़ाते और कहते पण्डित जी अब विशुद्ध नही रहे जब से रियासत मियां इनके ऊपर रंग लगाई दिहेन पण्डित शील भद्र को लगता कि उनके
#जले पर गांव वाले नमक ही छिड़क रहे है#

बात भी सही थी गांव वाले पण्डित जी के #जले पर नमक ही छिड़क रहे थे#

होली में रियासत अली के रंग लगाने की बात छेड़ कर पंडित जी खरी खोटी सुनाते कभी कभी ईंट पत्थर लेकर दौड़ाते ।

गांव से बात बाहर निकल कर जवार में फैल गयी कि पण्डित शीलभद्र को चिक रियासत अली ने होली में रंग लगा दिया वैसे तो पण्डित जी ने पंचगव्य खा कर अपने को शुद्ध कर लिया है किंतु पण्डित जी शुद्ध कैसे हो गए पण्डित जी को चाहिए कि हरिद्वार जाकर शुद्धि यज्ञ करे एवं विद्वत धर्माचार्यो से स्वंय के शुद्ध होने का प्रमाण पत्र लेकर आंए।

तभी पण्डित शीलभद्र से लोग अपने घर मरनी करनी यज्ञ पारोज आदि में पांडित्य कर्म कराए शीलभद्र और भी आग बबूला हो जाते होली के बाद जब भी पण्डित शीलभद्र की आहट भी रियसत सुन लेते रास्ता बदल देते ताकि पण्डित जी से मुलाकात ना हो और बेवजह की झंझट में ना फ़सना पड़े ।

पण्डित जी एक सूत्रीय कार्यक्रम बनाकर रियासत को खोजने में जुटे हुए थे पण्डित जी को रियासत अली से मुलाकात होने की संभावना को गांव वाले रियासत कि मदत कर समाप्त कर देते यदि पण्डित जी को पता लग जाता कि रियासत अली गांव के पूरब गए है जब पण्डित जी पूछते तो गांव वाले दक्षिण या पश्चिम बताते ।

पण्डित जी रियसत अली के साथ साथ गांव पूरे गांव वालों को अछूत मानने लगे या यूं कहें गांव वालों के लिए अछूत हो गए थे एकदम अलग थलग पड़ चुके थे।

पंडित सुबह शाम जब भी बाहर शौच आदि के लिए निकलते भगवान का नाम कम रियासत चिक का नाम अवश्य लेते औऱ उसकी परछाई ना पड़े यही भगवान से मांगते।

एक दिन शाम लगभग सात आठ बजे सर्दी की शाम या यूं कहें रात्रि को पण्डित शीलभद्र बाज़ार से लौट रहे थे बाज़ार जब पहुंचे और रियसत अली को मालूम हुआ कि पण्डित जी बाजार आये है तो उसे यकीन हो गया कि पण्डित जी उंसे अवश्य खोजेंगे रियासत अपनी नियमित दुकान से काफी दूर धंधा करने लगा ताकि पण्डित जी को बाज़ार में परेशानी ना हो।

रियासत मालूम था कि पण्डित शीलभद्र साल में कभी कभार ही बाज़ार आते है अतः क्यो उन्हें बेवजह फिर क्रोधित करते सामना करे।

शाम बाज़ार से लौटते समय पण्डित शीलभद्र आगे आगे चल रहे थे रियासत मिया पण्डित जी से कुछ दूर पीछे चल रहे थे जिसका अंदाज़ा पण्डित जी को नही था ।

जब पण्डित जी को पीछे किसी के आने का भान होता पण्डित जी पीछे मुड़कर देखते रियासत अली कहीं छिप जाते।

बाज़ार से गांव लगभग पांच किलोमोटर दूर था लगभग बाज़ार से दो किलोमीटर एव गांव से तीन किलोमीटर पहले सड़क के मध्य एका एक दो सांड आपस मे लड़ते हुए आ गए और जब सांडों का ध्यान पण्डित शील भद्र पर पड़ा तो साड़ों ने पण्डित शीलभद्र को बुरी तरह जख्मी कर दिया पण्डित जी लगभग मरणासन्न हो चुके थे ।

दूर से रियासत अली साड़ों का पण्डित जी पर आक्रमण देख रहे थे लेकिन कर भी क्या सकते थे?

बेचारे पण्डित जी को तो उसकी परछाई अपवित्र कर देती पण्डिय जी बुरी तरह घायल पीड़ा से कराह रहे थे रियासत पण्डित जी के गम्भीर अवस्था पर दूर खडा पश्चाताप के आंसू बहा रहा था उंसे यह समझ मे नही आ रहा था कि क्या करे ?

जिससे पण्डित जी को जान बच जावे कुछ देर बाद बगल गांव लोहगाजर के मिया शरीफ बाज़ार से लौट ही रहे थे कि उनकी नज़र रियासत अली पर पड़ी शरीफ ने रियासत अली से पूंछा यहाँ का कर रहे हो ?
रियासत ने पण्डित शीलभद्र कि तरफ़ इशारा करता बोला सांड ने बहुत बुरी तरह घायल कर दिया है
मिंया शरीफ बोले तू यहां खड़े खड़े का करी रहा है रियासत बोला चाचा जान पण्डित जी के ऊपर हमरी परछाई पड़ी जात है त अपने के शुद्ध करत हैं जब इन्हें हम उठाईके अस्पताल लइके जॉब त पण्डित जी त ठिक होखले के बादो मरिजहन ना चाचा ना हमारे मॉन के नाही बा।

मिंया शरीफ ने रियासत को कुरान और अल्लाह का वास्ता देते हुए इंसानियत को ही सबसे बड़ा मजहब बताया रियासत मियां हारी पाछी के पण्डित शीलभद्र का गोदी में उठायन और बाजार की तरफ चल पड़ें और ब्लाक के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर लेकर पहुंचा ।

डॉ महंथ ने पण्डित शीलभद्र का गम्भीरता से जांच किया और रियासत को बताया कि पण्डित शीलभद्र के शरीर से खून बहुत निकल चुका है और सांड के सिंह से आंते बुरी तरह जख्मी हो विखर चूंकि है जिसके लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा ।

रियासत तुम खून की व्यवस्था करो हम ऑपरेशन कि तैयारी करते है रियासत बोला डॉ साहब मैं कहा से व्यवस्था करूँगा मेरा ही खून ले लीजिए लेकिन जब पण्डित जी को होश आये तो यह मत बताएगा कि खून हमने दिया है ।

डॉ महंथ ने रियासत के खून के सेंपल की जांच किया पाया कि उसका ग्रुप पण्डित शीलभद्र के ग्रुप से मिलता है डॉ महंथ ने एक बेड पर पण्डित शील भद्र को लिटाया ऑपरेशन के लिए और दूसरे बेड पर रियासत को खून देने के लिए लगभग चार घण्टे के ऑपरेशन के बाद डॉ महंथ ने पण्डित शील भद्र के पेट को टांके लगाकर सील दिया ।

रात्रि के दो बजे रहे थे रियासत कुछ देर वही लेटा रहा और चार बजे भोर में जब डॉ महंत ने बता दिया कि पण्डित जी खतरे से बाहर है तो वह गांव को चल पड़ा।

इधर जब पण्डित शीलभद्र को होश आया तो उन्होंने पूछा हम कहाँ है हमे यहाँ कौन लाया डॉ महंत ने बताया आपको आपही के गांव के मियां रियासत अपने गोद मे लेकर आये थे आपकी हालत बहुत गम्भीर थी रियासत ने अपना खून भी आपको बचाने के लिए दिया जो अब आपकी रगों में बह रहा है ।

पण्डित जी को लगा कि उनके ऊपर हज़ारों घड़े पानी किसी ने उड़ेल दिया हो पुनः डॉ महंथ बोले पण्डित जी मैं डॉ अवश्य हूँ लेकिन जाती से डोम हूँ अब आप ही निर्णय करे इलाज डोम ने किया खून चिक ने दिया यह जीवन आपको सलामत चाहिए कि नही।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश ।।

Language: Hindi
161 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
इसीलिए तो हम, यहाँ के आदिवासी हैं
इसीलिए तो हम, यहाँ के आदिवासी हैं
gurudeenverma198
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
"मातृत्व"
Dr. Kishan tandon kranti
..
..
*प्रणय*
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
दोहा छंद
दोहा छंद
Vedkanti bhaskar
मां महागौरी
मां महागौरी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
3704.💐 *पूर्णिका* 💐
3704.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जीवन वो कुरुक्षेत्र है,
जीवन वो कुरुक्षेत्र है,
sushil sarna
इच्छा और परीक्षा
इच्छा और परीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नकारात्मक लोगों को छोड़ देना ही उचित है क्योंकि वे आपके जीवन
नकारात्मक लोगों को छोड़ देना ही उचित है क्योंकि वे आपके जीवन
Ranjeet kumar patre
" कू कू "
Dr Meenu Poonia
जो सृजन करता है वही विध्वंश भी कर सकता है, क्योंकि संभावना अ
जो सृजन करता है वही विध्वंश भी कर सकता है, क्योंकि संभावना अ
Ravikesh Jha
डर के आगे जीत।
डर के आगे जीत।
Anil Mishra Prahari
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
उसका शुक्र कितना भी करूँ
उसका शुक्र कितना भी करूँ
shabina. Naaz
मेरा जीने का तरीका
मेरा जीने का तरीका
पूर्वार्थ
मुहब्बत में उड़ी थी जो ख़ाक की खुशबू,
मुहब्बत में उड़ी थी जो ख़ाक की खुशबू,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गुजरा ज़माना
गुजरा ज़माना
Dr.Priya Soni Khare
50….behr-e-hindi Mutqaarib musaddas mahzuuf
50….behr-e-hindi Mutqaarib musaddas mahzuuf
sushil yadav
यादों से निकला एक पल
यादों से निकला एक पल
Meera Thakur
एक कवि की कविता ही पूजा, यहाँ अपने देव को पाया
एक कवि की कविता ही पूजा, यहाँ अपने देव को पाया
Dr.Pratibha Prakash
फिर वही
फिर वही
हिमांशु Kulshrestha
स्वयं के जीवन में अगर हम दूसरे की सफलता को स्वीकार नहीं करते
स्वयं के जीवन में अगर हम दूसरे की सफलता को स्वीकार नहीं करते
ललकार भारद्वाज
साथ था
साथ था
SHAMA PARVEEN
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...