पंख अपने ही फैला,जमाना उड़ान को देखता है
पंख अपने ही फैला,जमाना उड़ान देखता है
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जमीन पर बैठ कर,क्यो आसमान देखता है।
पंख अपने ही फैला,जमाना उड़ान देखता है।।
कमाई दूसरो की देखकर क्यों कभी जलता है।
कमाई अपनी ही कर उसी से काम चलता है।।
बुराई मत कर किसी की,भगवान भी देखता है।
भला कर सभी का,भगवान सभी को देखता है।।
बोए पेड़ बबूल के,आम कहा से तू खायेगा।
लगाया पेड़ खजूर का,छाया कहा से पायेगा।।
अच्छे कर्मों का तू अच्छा सदा ही फल पायेगा।
बुरे कर्मों का नतीजा,सदा तेरे ही आगे आयेगा।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम