न देवर कोई भी न साली
एक ग़ज़ल
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मुहब्बत से दुनियाँ ये सारी मिलेगी।★00★
न धन से कुई कामयाबी मिलेगी ।★00★
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ये। हालात नफरत के जारी रहे तो।★
किसी दिन ये दुनियाँ ही खाली मिलेगी।*01*
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न ताकत से दुनियाँ झुका कोइ सकता।★
मुहब्बत से दुनियाँ ये प्यारी मिलेगी।*02*
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परिंदों के माफिक उड़ो तुम कहीं भी।★
हरिक डाल अपनी ही डाली मिलेगी।*03*
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बिना भेद शाशन तो होता नहीं है।★
अगर फूट डाली ,तो कुर्सी मिलेगी। 04
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कटोरा लिए हाथ फिरते जहां में।★
तम्हे कोइ फूटी न कौड़ी मिलेगी।*05*
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अजब दौर है अब चलन भी ग़ज़ब है।★
अजब दौर की इक कहानी मिलेगी।*06*
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बड़ी उम्र में शादियाँ ‘मधु’ हुई तो।★
न देवर न कोई भी साली मिलेगी।*07*
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कलम घिसाई
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