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30 May 2024 · 1 min read

न जाने किसकी कमी है

फूलों से महकते बाग फिर भी सूनी जमी है
न जानें किसकी कमी है , न जानें किसकी कमी है |
चहकते हैं पक्षी यहां कोयल भी कूकती है
न जानें किसकी कमी है, न जाने किसकी कमी है
वो घूमता फिरता आवारा सा आसमा
ये राह तकती जमीं है , न जानें किसकी कमी है | ये खिलखिलाते वृक्ष ये खड़खड़ाते पत्ते
सारे नजारे हंसी हैं , न जाने किसकी कमी है |
हंसते हैं लोग यहां हंसने का गुमां हमें भी है
फिर भी गमों की बर्फ जमीं है, न जाने किसकी कमी है |
कितने हैं लोग यहां लोगों की बातें भी हैं
फिर भी कोई नहीं है , न जाने किसकी कमी है |
चकोर तो हैं यहां, चांद ही नहीं है
न जानें किसकी कमी है, न जानें किसकी कमी है |

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