***** नीले नशीले नैन कटोरे *****
***** नीले नशीले नैन कटोरे *****
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छोरी के नीले नशीले नैन कटोरे सैं,
छैल – छबीले जिन पर मरते छोरे सैं।
पैर कटन नै होरे भीड़ लाग रही भारी,
आशिक छोरयां गेल्या भरे न्योरे सैं।
रंग की गोरी गाम की छोरी जहरीली,
कमर पकड़कर धोरे खड़े छिछौरें सै।
पैंट शर्ट घाल गाबरू खडे कतारां में,
फूलों पर मंडराते रहते जैसे भौंरें सै।
मनसीरत कै करे अफरातफरी होरी,
चाव-चाव में खा रहे गोते हिलोरें सैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)