“नींद का देवता”
“नींद का देवता”
दादाजी अक्सर कहते रहे
दुःख से बढ़कर भूख
भूख से बढ़कर नींद
नींद का देवता तकिया,
जमीन हो, पलंग हो
चाहे रहे टूटी-रूठी खटिया।
“नींद का देवता”
दादाजी अक्सर कहते रहे
दुःख से बढ़कर भूख
भूख से बढ़कर नींद
नींद का देवता तकिया,
जमीन हो, पलंग हो
चाहे रहे टूटी-रूठी खटिया।