Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

नींद आती है सोने दो

नींद आती है सोने दो
जगाते स्वप्न बेचैनी से
भूला के इन सारे क्षणों को
चैन के साये में खोने दो।

इक नया कल फिर से आएगा
नई चुनौतियाँ, उम्मीद लिये
कर्तव्यपथ पर मुझको चलना
आशा,विश्वास भीतर भरना

ऊर्जा फिर नई भर जाएगी
चमत्कार वो दिखलाएगी
बोझिल होती साँसे कभी
अनचाहे दर्द,थकन से यूँ

विस्मृत कर व्रण अब सारे
नव उत्साह संग चलना होगा
बोझिल सी श्वासों में फिर से
स्फूर्ति को यूँ भरना होगा

चलते हुये कभी थमना भी
अनूठे पल में सँवरना है
मद्धम निशि यूँ बीत जायेगी
नव्य भोर,इक आस लायेगी।।

✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

50 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं एक महल हूं।
मैं एक महल हूं।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार है
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार है
Neeraj Agarwal
बघेली कविता -
बघेली कविता -
Priyanshu Kushwaha
عيشُ عشرت کے مکاں
عيشُ عشرت کے مکاں
अरशद रसूल बदायूंनी
*अहंकार *
*अहंकार *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आदमी बेकार होता जा रहा है
आदमी बेकार होता जा रहा है
हरवंश हृदय
थे कितने ख़ास मेरे,
थे कितने ख़ास मेरे,
Ashwini Jha
"आशा" की चौपाइयां
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*छंद--भुजंग प्रयात
*छंद--भुजंग प्रयात
Poonam gupta
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
हश्र का मंज़र
हश्र का मंज़र
Shekhar Chandra Mitra
हमारे प्यार का आलम,
हमारे प्यार का आलम,
Satish Srijan
*दुआओं का असर*
*दुआओं का असर*
Shashi kala vyas
2635.पूर्णिका
2635.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*हे!शारदे*
*हे!शारदे*
Dushyant Kumar
मन डूब गया
मन डूब गया
Kshma Urmila
नौकरी (२)
नौकरी (२)
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Iss chand ke diwane to sbhi hote hai
Iss chand ke diwane to sbhi hote hai
Sakshi Tripathi
छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
Anand Kumar
न काज़ल की थी.......
न काज़ल की थी.......
Keshav kishor Kumar
क्षणिकाए - व्यंग्य
क्षणिकाए - व्यंग्य
Sandeep Pande
लौट चलें🙏🙏
लौट चलें🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
Neelam Sharma
मनवा मन की कब सुने,
मनवा मन की कब सुने,
sushil sarna
"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
नेताम आर सी
भले ही भारतीय मानवता पार्टी हमने बनाया है और इसका संस्थापक स
भले ही भारतीय मानवता पार्टी हमने बनाया है और इसका संस्थापक स
Dr. Man Mohan Krishna
मै शहर में गाँव खोजता रह गया   ।
मै शहर में गाँव खोजता रह गया ।
CA Amit Kumar
*लस्सी में जो है मजा, लस्सी में जो बात (कुंडलिया)*
*लस्सी में जो है मजा, लस्सी में जो बात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...