नित नित पेड़ लगाता चल
पर्यावरण शुद्ध बनाने को,
नित नित पेड़ लगाता चल।
शुद्ध प्राणवायु नित पाने को,
नित नित पेड़ लगाता चल।।
बिदरंग गर्माते ब्रह्मांड हित।
वृक्ष लगा धरा हरी बनाता चल।।
नित नित कलियाँ खिलती रहे,
प्राणवायु सबको मिलती रहे।
कार्बन ले वायु शुद्ध बनाते,
ये जीवन समीर नित बहाते।।
पेड़ों को काटना सब बंद करें,
लगाओ पेड़ नित सेवा करो।
आओ पेड़ लगाये जगत में,
कभी न बैठें हम आलस्य में।
आह्वान सब धरावासियों से,
हरपल मधुमास लाता चल।।
पर्यावरण शुद्ध बनाने को,
नित नित पेड़ लगाता चल।।
पेड़ लगा सुख समृद्धि लाओ,
स्वाथ्य रक्षक सब बन जाओ।
युवा पीढ़ी सब मिल आओ,
सभी वन रक्षक बन जाओ।।
वृक्ष हरियाली प्रसन्नता लाये,
सब शुद्ध विचार मन में आये।।
वन माफिया अब दूर हटाओ,
वन रक्षकों थे प्रबलता लाओ।।
प्रदूषण कालिख हटाता चल,
बिघ्न-बाधा नित मिटाता चल।।
पर्यावरण शुद्ध बनाने को,
नित नित पेड़ लगाता चल।।
आक्सीजन और ताजी हवा,
वृक्ष जीवन की अचूक दवा।
शीत्तल छाया-स्रोत वर्षा का,
जीवन हमारा वृक्ष हर्षाता।
जीवन का सच्चा साथी पेड़,
मरूस्थल का अवरोधक पेड़।
सद्चिंतन-है पक्षी बसेरा पेड़,
है शांति के स्रोत सुनहरा पेड़।
‘पृथ्वीसिंह’ गुरादेश सुनाता चल,
गीत गुरु जम्भेश्वर गाता चल।।