नारी
लज्जा भी नारी,
लज्जित भी नारी।
शुद्ध भी नारी,
अशुद्ध भी नारी।
अभिमान भी नारी,
तिरस्कार भी नारी।
दुर्गा भी नारी,
दुर्गति भी नारी।
कैसे औऱ कब तक,
निभाऊं ये दोहरा सा किरदार।
लज्जा भी नारी,
लज्जित भी नारी।
शुद्ध भी नारी,
अशुद्ध भी नारी।
अभिमान भी नारी,
तिरस्कार भी नारी।
दुर्गा भी नारी,
दुर्गति भी नारी।
कैसे औऱ कब तक,
निभाऊं ये दोहरा सा किरदार।