नारी
नारी तुम मा,पत्नी और बहना हो!
नारी तुम घर-ऑगन का गहना हो!!
तुम गायत्री,सरस्वती और लछ्मी हो!
तुम कर्मभूमि का चंदन और भस्मी हो!!
तुम सैदुर ऑचल और कगना हो!
नारी तुम मा,पत्नी और बहना हो!!
नारी तुम तो मर्दो की जननी हो!
कभी उसकी अर्धागिनी सजनी हो!!
चूडी-पायल की रुनझुन बजना हो!
नारी तुम मा,पत्नी और बहना हो!!
तुम ही तो उसका स्वप्न सलोना हो!
फिर भी उसके हाथ खिलौना हो!!
क्यूं कन्या नही बालक ही जनना हो!
नारी तुम मा,पत्नी और बहना हो!!
मर्दो ने विश्वास जीत हरबार ठगा है!
करवाता भ्रम यही वो ही तेरा सगा है!!
उसके भँवर जाल से तुझको बचना हो!
नारी तुम मा,पत्नी और बहना हो!!
तुम मर्दो की भोग्या और सेवी हो!
फिर भी कहलाती उसकी देवी हो!!
कब टूटेगा भ्रम,कहता जब ठगना हो!
नारी तुम मा,पत्नी और बहना हो!!