नारी सशक्तीकरण पर दोहे
नारी जीवन में पड़ा, क्यों ऐसा व्यवधान।
पुरुषों की करतूत का, सदा सहे अपमान।।1
दुनिया देती है सदा, नारी को संत्रास।
जग में करते हैं सभी, औरत का उपहास।।2
सभा बीच में खींचकर, द्रुपद सुता का चीर।
चीख रही थी द्रोपदी, देख रहे थे वीर।।3
अपमानित नारी हुई, बहा नयन से नीर।
पुरुषों ने समझी नहीं, नारी हिय की पीर।।4
भूल गए हैं आप सब, सारा गौरव-गान।
पन्ना, लक्ष्मी, पद्मिनी, रानी का बलिदान।।5
याद करो वह साहसी, सुता कल्पना आप।
अंतरिक्ष का कर लिया, जिसने पूरा नाप।।6
करती हैं नित बेटियां, जन-जन का सम्मान।
दिखलाकर करतब नए, बनती जगत महान।।7
बनती टीचर डाक्टर, बेटी जग में आज।
जैसे मुर्मू द्रौपदी, करें देश पर राज।।8
नारी ने इस देश का, किया शिखर पर नाम।
फिर भी दुनियाँ ने किया, नारी को बदनाम।।9
हाथ उठाकर नारि पर, बनते वीर समान।
किन्तु तुम्हें कायर कहे, विधि का लिखा विधान।।10
चुप रहती हूँ इसलिए, मत कहना कमजोर।
आदिशक्ति हैं नारियाँ, समझ न कच्ची डोर।।11
अभिनव मिश्र अदम्य