Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Apr 2024 · 1 min read

*पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है....*

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है….
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है…!

अपने घर की कलह से फुरसत मिलें तो सुनें….
आजकल पराई दीवार पर ‘कान’ कौन रखता है.!

खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को.
आज कल परिंदो में अपनी ‘जान’ कौन रखता है…!

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर….
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है…!

बहलाकर छोड़ आते हैं वृद्धाश्रम में मां-बाप को..
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है…!

सबको दिखता है दूसरों में इक बेईमान इंसान..
खुद के भीतर मगर अब ईमान कौन रखता है.!

फिजूल की बातों पे सभी करते हैं वाह – वाह…
*अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है

.जय श्री राधे कृष्णा..!*

Loading...