*नारी राष्ट्रशक्ति*
नारी राष्ट्रशक्ति किरणमयी,
गरिमा,संस्कृति,निधि औ’ सुचिता l
संस्कार शालीन है गहना,
तुम करुणा ममता की सरिता ll
तुम जग जननी जीवन-संगिनी,
हो विश्व विजयिनी कल्याणी l
शंखनाद जग नियंतता तुम,
प्रपंच सशक्त वीर क्षत्राणी ll
युग-युग मुखरित है गुणगाथा,
नारी जग की भाग्य विधाता l
तुम हो परहितकारी निरुपम,
सुखद स्मृति और सौम्य प्रदाता ll
नारी की प्रीति-रीति से ही,
सुरभित सारा जग फुलवारी l
है लक्ष्मी , दुर्गा की जैसी,
मर्दानी भारत की नारी ll
नारी तुम अंत औ’ प्रारम्भ,
तुमसे ही कृति श्रुति स्मृति पृथुश्री l
तुम्ही सृष्टि सृजन शक्ति स्वरुपा ,
तुम्ही हो गगन जमीं विजयश्री ll
संकल्पना औ’ कल्पना है,
नारी ही भाषा परिभाषा l
दुष्प्रवृति घृणित कर्म नष्ट हो,
नारी की इतनी अभिलाषा l
कहे चित्रांश दुनिया को आज,
पुर अदभुत नारी की माया l
प्रियदर्शिनी औ’ प्रणयिनी है ,
नारी वृक्ष शीतल सी छाया ll
दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”