नाम तुम्हारे
नाम तुम्हारे ख़त लिखना था,
दिल का हाल बयां करना था..
लिखना था अच्छे लगते हो,
जज़्बातों के सच्चे लगते हो…
याद तुम्हारी क्यों आती है?
आँखों को अच्छे लगते हो…
कान बस सुनना चाहे तुमको,
दिल को अच्छे अच्छे लगते हो…
नाम तुम्हारे ख़त लिखना था,
दिल का हाल बयां करना था….
मेरे घर का कोई रस्ता,
घर तेरे भी जाता है क्या?
मेरी गली में तेरा आना,
यूँही नहीं तो होता होगा…
सबसे नज़र बचा के घर का,
पर्दा तकना यूँ ही है क्या?
मुझको उस खत में लिखना था,
सारे सवाल जो दिल के थे…
हाल तुम्हारे दिल का लेना,
उन मज़मुनों में बहना था..
नाम तुम्हारे ख़त लिखना था,
दिल का हाल बयां करना था…