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20 May 2024 · 1 min read

मेरे प्यारे पहाड़

हे मेरे प्यारे पहाड़,
आशा है, जो कोई नहीं समझ सका तू वो समझेगा ,

तुझसे दूर रहना इच्छा नहीं मजबूरी है मेरी,
आशा है , तू यह समझेगा।

यह धक्के खाती ज़िन्दगी मेरी, जो तुझसे मिलने को तरस गई है ,
आशा है तू मेरे इस संघर्ष को समझेगा।

जिस तरह बहे रही है अनेक पवित्र धाराएं तुझमें,
उसी प्रकार बहेते है अश्क मेरे,
जो इंतज़ार में है तेरा दीदार पाने को,
आशा है की तू मेरे इन अश्को को समझेगा।

घर में मेरी एक इजा है ,
उससे मिलने की मुझमें तीव्र इच्छा है,
मगर ना मेरा उस से मिलना अच्छे से हो पाता है,
बस जब भी जाती हूँ अपने गांव ,
उसे देख कुछ पल के लिए वक्त थम सा जाता है ,
काश यह वक़्त यूँही कुछ वक़्त के लिए रुक सकता,
मुझे अपनो से मिलने का थोड़ा और वक़्त मिलता,

मेरे सब्र की कीमत बेशक है नहीं किसी को
उम्मीद है तू मेरे सब्र की कीमत को समझेगा।

हे मेरे प्यारे पहाड़ आशा है, तू मुझे समझेगा।।२

❤️ स्कंदा जोशी

Language: Hindi
17 Views
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