Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Nov 2018 · 1 min read

नही कन्या भ्रूण गिराउंगी

नही कन्या भ्रूण गिराउंगी ,

मेरे अनगढ़ सपनो को माँ ,तुमने ही आकार दिया।
जन्मा मुझे कोख से अपनी, अतुल्य ये उपकार किया।
देख रही थी गर्भ से मैंभी , चुपचाप तुम्हारी उम्मीदे
तेरे मन की घुटन की आँच, रुदाली सी तस्वीरे।
सुना था मेने भी अट्टहास वो ,जो मुझे मारने आतुर था
सारा समाज तुझ पर माँ ,कलंक लगाने आतुर था।
बेटी जनकर कुलकलंकनी , जब तुझे ठहराया था
लेकिन मुझमे तूने तब भी ,स्वाभिमान जगाया था।
कितना दर्प था तब चहरे पर ,जब गोद मुझे उठाया था।
पग पग पर तूने ही मुझमे ,अपना विश्वास जगाया था।
देखा था मेने बचपन मे ,तुमने जो कष्ट उठाये थे।
मुझे पढाने की खातिर ,माथे पर बोझ उठाये थे।
सीख रही थी मैं भी चुपचुप ,अपनी आन निभाना माँ।
अपनी बेटी के ख़ातिर ,रूढ़ियों से टकराना माँ।
है वादा तुमसे ये मेरा, रीत तेरी ही निभाऊंगी।
जन्मे कोख से मेरे बिटिया ,उसे तेरी तरह बनाउंगी।
लीक नई जो तुझसे सीखी ,वही रीत दोहराउंगी ।
लाख कहे दुनिया तो क्या ,नही कन्या भ्रूण गिराउंगी ।
साथ न दे कोई तो क्या,खूब उसे पढ़ाऊंगी।
उठे लाख सवाल फिर भी, हर रूढ़ि से टकराउंगी।

विजय लक्ष्मी जांगिड़ “विजया”
जयपुर

6 Likes · 25 Comments · 606 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
गुब्बारे की तरह नहीं, फूल की तरह फूलना।
गुब्बारे की तरह नहीं, फूल की तरह फूलना।
निशांत 'शीलराज'
चँचल हिरनी
चँचल हिरनी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
दिनकर की दीप्ति
दिनकर की दीप्ति
AJAY AMITABH SUMAN
मेरा शहर
मेरा शहर
विजय कुमार अग्रवाल
Kitna hasin ittefak tha ,
Kitna hasin ittefak tha ,
Sakshi Tripathi
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
तो जानो आयी है होली
तो जानो आयी है होली
Satish Srijan
एक नया अध्याय लिखूं
एक नया अध्याय लिखूं
Dr.Pratibha Prakash
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
sushil sarna
खाई रोटी घास की,अकबर को ललकार(कुंडलिया)
खाई रोटी घास की,अकबर को ललकार(कुंडलिया)
Ravi Prakash
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
Dr MusafiR BaithA
कर दो बहाल पुरानी पेंशन
कर दो बहाल पुरानी पेंशन
gurudeenverma198
■ यक़ीन मानिएगा...
■ यक़ीन मानिएगा...
*Author प्रणय प्रभात*
दो शब्द सही
दो शब्द सही
Dr fauzia Naseem shad
"धरती की कोख में"
Dr. Kishan tandon kranti
3133.*पूर्णिका*
3133.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बादल और बरसात
बादल और बरसात
Neeraj Agarwal
गुरु दीक्षा
गुरु दीक्षा
GOVIND UIKEY
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Bodhisatva kastooriya
जो कभी मिल ना सके ऐसी चाह मत करना।
जो कभी मिल ना सके ऐसी चाह मत करना।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वह नही समझ पायेगा कि
वह नही समझ पायेगा कि
Dheerja Sharma
जो सच में प्रेम करते हैं,
जो सच में प्रेम करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
लम्हों की तितलियाँ
लम्हों की तितलियाँ
Karishma Shah
मुक्तक
मुक्तक
anupma vaani
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सखी री आया फागुन मास
सखी री आया फागुन मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...