*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छंद)
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नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा
भीषणतम ताप करोगे जब, यह तभी हिमशिखर पिघलेगा
आओ मन को एकाग्र करें, इतनी ज्वाला धधकाऍं हम
जो बाधाऍं हैं पथ में वे, जड़ से सब चलो हटाऍं हम
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451