“नसीबे-आलम”
“नसीबे-आलम”
नसीबे-आलम क्या बतलाएँ,
कयामत तक इन्तजार कराती है।
आशिकी भी कम जालिम नहीं,
जख्म के साथ मरहम दे जाती है।
“नसीबे-आलम”
नसीबे-आलम क्या बतलाएँ,
कयामत तक इन्तजार कराती है।
आशिकी भी कम जालिम नहीं,
जख्म के साथ मरहम दे जाती है।