नशा किस बात का है।
है मनुष्य कर ले नशा मगर
पर बता नशा किस बात का है।
शराब का है या सवाब का है
धन दौलत और मान का है
या अपनी झूठी शान का है
तू नेता हैं या अभिनेता है
या बड़ा कारोबारी सेठ है
क्यों इतने नशे में झूम रहा
जरा बता कहाँ तेरी पेठ है ?
जो तुझमें इतनी ऐठ है।
-विष्णु ‘पाँचोटिया