नया कोई आया है सैय्याद करके
नया कोई आया है सैय्याद करके
नया जाल लाया है ईजाद करके
उसे क्या मिला ख़ुद को बर्बाद करके
जहाँ कह रहा है उसे याद करके
सदा तुझको देंगे परिन्दे दुआयें
ज़रा इक दफ़ा देख आज़ाद करके
लिखा नाम ख़ुद का शहीदों में ख़ुद ही
गया छोड़कर सबको नाशाद करके
बसाने चला है किसी का घरौंदा
मुझे तो दुखी और को शाद करके
ग़रीबी तो किस्मत में लिक्खी है शायद
नहीं फ़ायदा कोई फ़रियाद करके
यही उसने अपना बनाया है मक़सद
ग़रीबों को रखना है आबाद करके
करे क्या अमीरी का सुख-चैन ग़ायब
बहुत ख़ुश हुआ है वो इमदाद करके
अभी तक तो ‘आनन्द’ वो दोस्त ही है
मगर आज बोला है उस्ताद करके
– डॉ आनन्द किशोर