नमन तुम्हारे श्री चरणों में, तुम याद बहुत ही आए
पूज्य पिताजी की यादें, हृदय में हर पल आतीं हैं
बचपन से पचपन तक की, ढेरों याद दिलातीं हैं
कितना लाड़ प्यार करते थे,हर मांग पूरी करते थे
कितनी मेहनत और श्रम से, परवरिश हमारी करते थे
जिद पूरी करने में, कितना त्याग किया करते थे
उनके त्याग और बलिदान को,तब हम कहां समझते थे नए कपड़े मिठाइयां खिलोने, हर इच्छा पूरी करते थे
छोटा तब छोटी सायकिल, बड़े में बड़ी दिलाई थी
नवमी में पहुंचा था जब, मैंने मोपेड चलाई थी
घूमना फिरना और फ़िल्में , उन्होंने हमें दिखाई थीं
पीछे लग जाता था मैं, साथ में बहुत घुमाई की
स्कूल नहीं जाने पर मैंने,डांट वो पहली खाई थी
नहीं दुबारा हुई थी गलती,ऐसी डांट लगाई थी
स्कूलिंग के बाद कालेज गया, शहर पढ़ाई कराई थी
लगी नौकरी सरकारी,वे फूले नहीं समाते थे
कितने उत्साहित थे शादी , कितने प्लान बनाते थे
कैसे नाचे थे बारात में, पल वो कितने सुहाने थे
कितने खुश थे पोते पोतियों संग,सब उनके दीवाने थे जाना था परलोक उन्हें,दो दिन पहले मिलने आए थे
पोते पोतियों संग मेले गए,मन पसंद खिलोने दिलाए थे
दो दिन रह कर गांव गए, हंसते हुए सिधाए थे
साथ विताए सुखद पलों को, कभी भूल न पाए
तीज त्यौहार शादी व्याह, यात्राएं भुला न पाए
हृदय में जीवंत हैं हर पल, याद उन्हीं की आए
अश्रु बिंदु छलके नयनों में,अंतस भीगा जाए
मेरे बचपन से पचपन तक,रहे हम उनके साए
संस्कार और नसीहत, हम कभी भूल न पाए
उनके आशीर्वाद स्नेह प्रेम से, जीवन में सुख पाए
जीवन में हम इस मुकाम तक, मां बाप के पुण्य से आए
नमन तुम्हारे श्री चरणों में, तुम याद बहुत ही आए
शब्द नहीं महिमा कहने को, उपमा छोटी पड़ जाए
त्याग तपस्या बलिदानों को,कौंन कवि कह पाए
कोटि कोटि नमन चरणों में, तुम याद बहुत ही आए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी