नमन कीजिए
राधिके की चरण में शरण लीजिए।
कृष्ण का नाम अमृत वरण कीजिए।।
मुक्त होकर करें श्याम की साधना।
दम्भ की भावना का क्षरण कीजिए।।
सन्त मन में रमें राधिका श्याम जी।
सत्त्व के भाव जीवन मरण जीतिए।।
छूट जायें सभी बन्ध घनघोर ये।
तेज का ओज से उद्ध्वरण कीजिए।।
नाद अनहद की बजती हृदय में रहे।
नाम हरिनाम में मन हरण कीजिए।।
चक्षु में साँवरे संग हों राधिके।
बस यही रूप लोचन ग्रहण कीजिए।।
नाम गिरधर की यशगान माला लिए।
भाग्य भगवान से बस तरण लीजिए।।
मन की गलियों में भगवान आ जायेंगे।
कुन्ज गलियों में जाकर भ्रमण कीजिए।।
अपने अन्तस् का दीपक जलाते हुए।
ईश के ध्यान में बस रमण कीजिए।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी