नफरत की राजनीति…
नफरत की राजनीति…
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एक प्रश्न आया मन में
नफरत की राजनीति
कहाँ से और कब से
शुरू हुई होगी
इस वतन में…
ये धरा गगन तो
देवों की और
ऋषियों की
त्याग तप पावन भुमि थी
पूरे चमन में…
उत्तर ढूंढा मैं
गलियों और गलियारों में
वेदों और पुराणों में
सारे ग्रन्थों और
इतिहास के हरेक पन्नों में…
खोजते-खोजते
निगाहें टिक गई
उस पृष्ठ पर
एक ऐसे शहंशाह के
काले अतीत में…
उस बंदे ने
अपने बुढ़े पिता को ही
कैद कर डाला था
जीवन के आखिरी सात सालों तक
एक कारागार में..
राजसत्ता चाहिए थी
इसलिए सगे भाइयों को भी
मार डाला था वो
युद्ध में उलझाकर
जिंदगी के सफर में…
उत्तर ये मिला हमको,
उनसे ज्यादा नफरती
और सत्ता स्वार्थी
कहाँ मिलेगा
इस धरती और गगन में…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १३ /०१ / २०२२
पौष, शुक्ल पक्ष,एकादशी
२०७८, विक्रम सम्वत,गुरुवार
मोबाइल न. – 8757227201