Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2024 · 1 min read

मुक्तक

जब तेरी जिंदगी किसी की मुस्कराहट का सबब होने लगे
जब तेरे प्रयास से किसी की जिंदगी रोशन होने लगे
जब तेरी कोशिश किसी के जीवन को दिशा देने लगे
तब समझना कि तुम एक पूर्ण मानव बन गए हों l

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Language: Hindi
1 Like · 28 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
अब हम क्या करे.....
अब हम क्या करे.....
Umender kumar
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
shri rahi Kabeer
कोई शाम आयेगी मेरे हिस्से
कोई शाम आयेगी मेरे हिस्से
Amit Pandey
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
Shivkumar Bilagrami
■ सीधी बात, नो बकवास...
■ सीधी बात, नो बकवास...
*Author प्रणय प्रभात*
अलाव
अलाव
गुप्तरत्न
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गुनाह लगता है किसी और को देखना
गुनाह लगता है किसी और को देखना
Trishika S Dhara
चंद अशआर -ग़ज़ल
चंद अशआर -ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
"शख्सियत"
Dr. Kishan tandon kranti
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
Shweta Soni
मतलबी ज़माना है.
मतलबी ज़माना है.
शेखर सिंह
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
Keshav kishor Kumar
बहुत सी बातें है, जो लड़के अपने घरवालों को स्पष्ट रूप से कभी
बहुत सी बातें है, जो लड़के अपने घरवालों को स्पष्ट रूप से कभी
पूर्वार्थ
संसद उद्घाटन
संसद उद्घाटन
Sanjay ' शून्य'
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
2705.*पूर्णिका*
2705.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी से भी
किसी से भी
Dr fauzia Naseem shad
तो मैं राम ना होती....?
तो मैं राम ना होती....?
Mamta Singh Devaa
আজকের মানুষ
আজকের মানুষ
Ahtesham Ahmad
वर्तमान लोकतंत्र
वर्तमान लोकतंत्र
Shyam Sundar Subramanian
कभी शांत कभी नटखट
कभी शांत कभी नटखट
Neelam Sharma
एक कप कड़क चाय.....
एक कप कड़क चाय.....
Santosh Soni
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
Ravi Prakash
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Sakshi Tripathi
माँ आओ मेरे द्वार
माँ आओ मेरे द्वार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
नेताम आर सी
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...