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28 Sep 2021 · 2 min read

“नदियाँ हमारी पोषक”

नदियों के अभाव में पृथ्वी पर जीवन अकल्पनीय है। नदियां है तो जीवन है। नदियां हमारा वर्तमान भी हैं और वे हमारा भविष्य भी है। नदियों के प्रदूषित होने से न केवल जलीय जीवों का बल्कि हमारा जीवन भी संकट में पड़ सकता है। आइए, हम मिलकर नदियों को संरक्षित करने की दिशा में कदम उठाएं।नदियां हमारी जीवन रेखा की तरह हैं। नदियां हमें जीवन देती हैं।
विश्व नदी दिवस हमें इस तथ्य का स्मरण कराता है कि नदी की स्वच्छता व संरक्षण बचाने का दायित्व हमारा है। हमें इस उत्तरदायित्व का निर्वहन ईमानदारी से चाहिए।
पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल है, जिसमें से 2.7जल हमें नदियों और अन्य स्त्रोतों से प्राप्त होता है। ।
विश्व नदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
भारत में तो अनादि काल से नदियों को दैवीय महत्व दिया गया है। पूर्वांचल में पवित्र नदियों के किनारे मनाया जाने वाला छठ महापर्व सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है।

विश्व की अधिकांश जनसंख्या नदियों के आसपास रहती है। पेयजल का प्रमुख स्रोत होने के साथ ही यह बहुत से उद्योगों का आधार है जिनका कार्य जलाभाव में असंभव है। खेतों में सिंचाई और उनमें उर्वर मिट्टी प्रदान करने कारण है नदियों के आसपास के खेत बहुत उपजाऊ होते हैं जो इलाके की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाते हैं नदियों का महत्व केवल मानव ही नहीं बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत अधिक है। नदियाँ एक ही नहीं बल्कि बहुत से इकोसिस्टम को चलाने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। यूं तो नदियों की उम्र बहुत ही लंबी होती है, लेकिन मानवीय गतिविधियाँ नदियों के अस्तित्व को ऐसे खतरे में डाल रही है कि केवल प्रदूषण से मानव जीवन और संबंधित गतिविधियों को बहुत नुकसान होता है।

पर्वयावरण के दृष्टिकोण से देखें तो नदियां न केवल मानव अपितु अन्य अनेक जलीय जीवों का घर है। नदियों के बाहर रहने वाले बहुत सारे जीव भी नदियों पर निर्भर हैं।इस लिहाज से नदियां अपने चहुंदिश के इकोसिस्टम को संतुलित रखने में भी महती भूमिका निभाती हैं।

नदियों का एक महत्व यातायात के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण रहा है। कई नदियां लोगों की यात्रा के लिए जमीन के मुकाबले यात्रा का आसान जरिया रही हैं जो आज भी कायम है।इसके अलावा नदियों के जरिए सामान की आवाजाही भी आज भी कई नदियों में होता है।इस तरह से नदियाँ विभिन्न संस्कृतियों में आदान- प्रदान का माध्यम भी रही हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व के अनेक देशों के नदियाँ शुष्क होकर मृतप्रायःहो गई हैं। इसका प्रमुख कारण है ग्लोबल वार्मिंग। भारत में ही अनेक नदियाँ ग्रीष्म काल में पूर्णतः सूख जाती हैं और इस प्रकार से वे केवल मौसमी नदियाँ बन कर रह गई हैं। यह तथ्य पर्यावरण हेतु अत्यन्त घातक सिद्ध हो सकता है।

रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: लेख
969 Views
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