नजर
सोरठा
नजर नजर का भेद,जिसकी जैसी भावना ।
नजर परख मतभेद,नजर देख पहचानना।।
नजर जुड़े का खेल,प्यार स्वयं में झलकता ।
बढ जाता है मेल,नजर करे जब करिश्मा।।
नजर फेरते लोग,कर्म दोष खोटे लगे।
बुरे संग का योग,बाद मन पछताव करे।।
नजरो से पहचान,दोस्ती या फिर दुश्मनी।
एक नजर लो जान,घृणा दुश्मनी से भरी।।
नजर हुई दो चार, प्यार मुहब्बत के लिये ।
जीवन का व्यवहार,नजर मिलाना सीखिए।।
राजेश कौरव सुमित्र