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29 May 2023 · 1 min read

नई सदी में नई पीढ़ी __

फिक्र है फितरत कितनी बदल गई है ।
हवाएं आज जमाने में कैसी चल गई है।।
बड़े बुजुर्गों से कहते सुना है हमने।
नई सदी में नई पीढ़ी कैसी ढल गई है।।
अपने ही हक् का न मिले खुद को ।
समझिएगा जिंदगी वह कैसी मचल गई है।।
पाला पोसा बेटों को सपने सजा कर।
गहस्थी बसी नही कि दूर कहीं चल गई है।।
मानी बड़े बूढ़ों की बात जिसने दिल से।
जिंदगी उनकी भीड़ में भी संभल गई है।।
किस विषय को छुऊं छोड़ दूं किसे मैं।
कमियां “अनुनय” सभी में निकल रही है।।
राजेश व्यास अनुनय

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