धोखा
मासूम बेजुबान को कुछ नही मालूम ,
इंसान उसके साथ क्या करने वाला है ।
नादान है वो क्या जाने ,क्या समझे ,
उसके साथ कोई धोखा होने वाला है ।
लाया तो है बड़े प्यार से अपने घर ,
कितने दिन रहेगा और कब तक ?
जब तक मन लगा हुआ है खिलौने से ,
और जब तक जी न भरेगा तब तक ।
हां खिलौना ही तो है वो मासूम ,
जिसे देखकर सब खुश होते है ।
मगर यह भोले जीव बेचारे,
उसे प्यार समझ बैठते है ।
खिलौने से जी भर जाए शिशु का ,
तो वो उसे तोड़ देता है ।
इंसान का दिल भर जाए तो ,
वोह उसे छोड़ देता है ।
फिर चाहे वोह बेजुबान भूखा प्यासा,
दर दर की ठोकरें खाए ,परवाह नही ।
आखिर किस बात की मिली उसे सजा ,
जब कोई गुनाह उसने किया ही नहीं ।
उसकी यादाश्त कमजोर होती है ,
इंसान की खताएं वोह याद रखता नही ।
इसी कमजोरी का लाभ उठाता इंसान ,
जरा सा भी रहम उसमें आता नहीं ।
स्वार्थी होता है इंसान अरे भोले जीव!
वोह बख्शता अपनों को भी नही ।
फिर उसकी नजर में तेरी क्या हस्ती ,
वोह तुझे समझता सजीव नही ।
जज्बात उसमें अपनों के लिए ही नही होते ,
तेरी भावनाओं को वो क्या समझेगा ?
उसकी फितरत है धोखा देने की ,
क्या वो तुझे बख्श देगा ?.
बूढ़े हो जाए माता पिता तो ,
वो उनको घर से निकाल देते है
तो क्या बूढ़ा हो जाते है गौ वंश,
और अन्य पशु उनको भी त्याग देते हैं।
इंसान वाकई स्वार्थी और निर्दयी होते है ,
अपने मतलब के लिए ही रिश्ता रखते हैं।
और जब मतलब पूरा हो जाए तो ,
अपनी जिंदगी से यूं ही निकाल देते हैं।
इनके झूठे प्यार और लगाव को ,
सच्चा बिलकुल भी न समझना ।
अपने आगे लालच की रोटी फेंकने वालों ,
पर कभी भरोसा मत करना ।
यह प्यार नहीं मात्र धोखा है।