“धूल का साम्राज्य”
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में
सूरज के राज्य से भी
लगता अति विशाल
धूल का साम्राज्य,
पहुँच नहीं पाता कभी
अन्धेरे में सूरज
लेकिन चहुँओर बजता है
धूल का बिगुल,
आप भी गौर करिए जरा
ऐ मेरे हुजूर।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति