धन-संपदा थोड़ा कम भी हो,
धन-संपदा थोड़ा कम भी हो,
आपसी प्रेम व विश्वास हो,
मेल – जोल, अपनापन हो…
समन्वय, शांति व सुकून हो,
समय पर अपनों का साथ हो!
वो धन-दौलत किस काम की
जो अपनों को अपनों से दूर करे,
जो किसी विवाद का कारण बने,
जो आपस में वैमनस्यता लाए,
दो पल का सुख-चैन ले जाए!
…. अजित कर्ण ✍️