धड़कन की तरह
धड़कन की तरह बसे हो सीने में।
सूरत हैं तेरी अंगूठी के नगीने में ।
तेरे बिना कैसे सांसें हो मेरी रवां
बिन तेरे क्या मज़ा है जीने में।
दिल बार बार मांगे हैं तेरा साथ
डुबना चाहूं मैं इश्क के सफीने में।
बिन चाहत सूनी-सूनी है दुनिया
इसमें जीवन मिले ज़हर पीने में।
मोहब्बत में अगर शिद्दत हो साहब
खुशबू आती है मेहनत के पसीने में
सुरिंदर कौर