लोगों को और कब तलक उल्लू बनाओगे?
लोग मेरे साथ बेइंसाफी करते हैं ।।
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
फिर मुलाकात करेंगे ज़िंदगी से,
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
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तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा