Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

बसंत का मौसम

बसंत का मौसम है निराला,

जिसने सबको मोहित कर डाला।

प्रकृति की देखो छटा निराली,

झूमे पशु-पक्षी और नर-नारी।

लेकर सुगंध बह रही पवन,

हरियाली छाई वन-वन।

पल में पतझड़ का हुआ अंत,

आया निराला मौसम बसंत।

ऋतुओं का राजा कहलाती,

प्रकृति अपना अनुपम सौंदर्य दर्शाती।

सुगंध से वातावरण नहाता,

फल-फूलों वाला पेड़ सबको भाता।

सीखें हम बसंत से रहना,

दूसरों को दुःख में भी सुख देना।

मानवता व परोपकार जैसे गुण अपनाएँ ,

बसंत ऋतु को अपना अंग बनाएँ।

आया बसंत का मौसम निराला।

आया बसंत का मौसम निराला।

Language: Hindi
3 Likes · 156 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pushpa Tiwari
View all

You may also like these posts

केवल दिन, सप्ताह,महीने और साल बदलने से कुछ नही होने वाला आपक
केवल दिन, सप्ताह,महीने और साल बदलने से कुछ नही होने वाला आपक
Rj Anand Prajapati
सफलता के लिए हमें अनुभव के साथ तर्कसंगत की भी आवश्कता है, तभ
सफलता के लिए हमें अनुभव के साथ तर्कसंगत की भी आवश्कता है, तभ
Ravikesh Jha
*दूसरा मौका*
*दूसरा मौका*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ममता का सच
ममता का सच
Rambali Mishra
समंदर में कोई हलचल नहीं है,
समंदर में कोई हलचल नहीं है,
पंकज परिंदा
3725.💐 *पूर्णिका* 💐
3725.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Dont tell them what they can and can't do
Dont tell them what they can and can't do
पूर्वार्थ
अलविदा नहीं
अलविदा नहीं
Pratibha Pandey
किसी अकेले इंसान का
किसी अकेले इंसान का
Rashmi Sanjay
विचित्र तस्वीर
विचित्र तस्वीर
Dr. Kishan tandon kranti
हिन्दी
हिन्दी
आशा शैली
*जागो हिंदू विश्व के, हिंदू-हृदय तमाम (कुंडलिया)*
*जागो हिंदू विश्व के, हिंदू-हृदय तमाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कौन मनाएगा तुमको
कौन मनाएगा तुमको
Shekhar Chandra Mitra
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
दिल को बैचेन होते हुए देखा हैं
दिल को बैचेन होते हुए देखा हैं
ruchi sharma
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
Vijay kumar Pandey
सलाम मत करना।
सलाम मत करना।
Suraj Mehra
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
Vivek Pandey
जो  लिखा  है  वही  मिलेगा  हमें ,
जो लिखा है वही मिलेगा हमें ,
Dr fauzia Naseem shad
कौन हुँ मैं?
कौन हुँ मैं?
TARAN VERMA
"अब शायद और मज़बूत होगा लोकतंत्र व संविधान। जब सदन की शोभा बढ
*प्रणय प्रभात*
कचनार
कचनार
Mohan Pandey
दोहे
दोहे
manjula chauhan
हो विसर्जन
हो विसर्जन
Seema gupta,Alwar
“दर्द से दिल्लगी”
“दर्द से दिल्लगी”
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
खामोशी
खामोशी
Sudhir srivastava
कह्र   ...
कह्र ...
sushil sarna
ईद मुबारक सबको
ईद मुबारक सबको
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
गंगा- सेवा के दस दिन (छठा दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (छठा दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
मुक्तक
मुक्तक
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
Loading...