दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया
दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया
मेरा पता पूछ कर कहीं और चला गया।
आंखों का अश्कों का न दिल का कसूर था
ख़त में लिखा था जो वो ही पढ़ा गया।
खुद्दार शख़्स है वो अपनी जमात का
लोगों में न जाने उसे क्या क्या कहा गया।
तुम देर से आये हो तन्हा हो इसलिए
इस दर से हसरतों का मेला चला गया।
..देवेंद्र प्रताप वर्मा”विंनीत”