दोहे- साँप
हिंदी दोहा बिषय- साँप*
सभी साँप अब डर गए , मानव का विष देख |
#राना ऐसा काटते , मिटे कभी मत रेख ||
जहर उगलता आदमी , साँप हुआ भयभीत |
#राना से वह कह उठा , उल्टे है अब गीत ||
#राना जंगल नष्ट है , बामी मटियामेट |
साँप शरण अब मांगता , मत करना आखेट ||
दंत हीन विष हीन है , साँप अकेले आज |
मानव में आया जहर , #राना बिगड़े काज ||
सभी तरह के साँप है , छोटे बड़े मझोल |
नेताओं के रूप में , #राना है भूगोल ||
धना साँप को देखकर , बोली हे श्रीमान |
#राना तीखा अब जहर , रखते है इंसान ||
***
दोहाकार- ✍️ राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com