दोहे- चार क़दम
हिन्दी दोहा विषय- चार कदम
चार दिना की जिंदगी , चार कदम के खेल |
#राना अब सत्कर्म की ,जल्दी पकड़ो रेल ||
चार कदम #राना चलो , करो चार की खोज |
हो जाएगें सैकड़ों , स्वर्णिम होगा ओज ||
चार कदम अच्छे रहें , बन जाते सब काम |
चलते ही जब गिर पड़े , #राना तब बदनाम ||
चार कदम के आचरण , कर देते पहचान |
#राना भी अनुमान ले , यह कैसा इंसान ||
चार कदम चलते नहीं ,और न पकड़ें हाथ |
कहने के यह मित्र है, छोड़ो #राना साथ ||
अकल अजीरण भी सदा, #राना होते मित्र |
चार कदम चलते नहीं , बातें करें विचित्र ||
चार कदम कहकर हुई , #राना बहुत खरीद |
बोझा हम ही ढ़ोयगें , पत्नी को उम्मीद ||
***🙏😇 ***
दोहाकार ✍️ राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
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