दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है,
आँखों को मूंदते हीं, साथ तुझे ले आतीं हैं।
प्रेम बहता है अब भी रगों में, एहसास ये साँसें करातीं है,
ख़ामोशियों को भेदकर, आवाज़ें तेरी यूँ आतीं हैं।
क़दमों की हर आहट, मेरी नज़र खींच ले जाती है,
धड़कने एक पल में, मन में भ्रम जाल फैलातीं हैं।
कभी-कभी हवाएं ठहर कर मुझे रुकना सीखाती हैं,
तू आ सकता नहीं लौट कर, ये तथ्य मुझे समझातीं हैं।
तब उदासीन से दिन कटते हैं, रातें वैराग्य दिखातीं हैं,
दुआओं में अब माँगूँ भी क्या, ये सोच हीं आँखें भींगाती हैं।
फिर एक दिन उस चाँद की किरणें, लहरों से जा टकरातीं हैं,
मेरे उदासी के आवरण को, यादें तेरी छू जातीं हैं।
उड़ते हैं परदे एहसासों के, और साजिशें हवाओं की दोहराती हैं,
तेरे अक्स को अनंत बना, मेरे आंसुओं से बांध ये जातीं हैं।