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18 Dec 2021 · 1 min read

दुःशासन आज भी हँस रहा…

दुःशासन आज भी हँस रहा…
~~~^^^~~~~~~^^^~~~~
दुःशासन आज भी हँस रहा,
उसके अट्टहास की गूंज,
चारो दिशाओं में गूँज रही,
पर देश का दुर्भाग्य है कि,
वो तेरे कानो में पहुँचती ही नहीं है।

सुनो तो अट्टहास उनका ,
दुःशासन आज भी हँस रहा ,
कर के नारी का अपमान ,
लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में,
जहां कानून की लकीरें खींची जाती है ।

भला ऐसा भी क्यों न हो एक दिन ,
याद कर वो बीते हुए पल को,
जब बीच सदन में ,
फाड़ डाला था किसी कौरव सेना ने ,
महिलाओं का वो जायज बिल ,
जहाँ देश की तकदीर बनती है ।

तेरे मासुम हाथों से,
डुगडुगी भी नहीं बज सका था वो दिन ,
लड़की हूँ लड़ सकती हूँ,के नारे पर भी
लोग कैसे यकीन करे ।
जब लड़कियों के बलात्कार को ,
उनके ही शागिर्दों द्वारा जायज ठहराया जाए ।
क्या ऐसे ही, देश की तामीर सजती है।

अब ज्यादा विलंब करने से तो बाज आओ ,
तालिबानियों के जुल्म से तो सबक लो,
जो सृष्टि की जननी है सदा ,
उसके अपमान को भूलो मत यहाँ ।
संस्कृति के चादर में लिपटकर ,
उनकें सर्वांगीण विकास को सोचो तुम यहाँ ,
ऐसे ही नहीं, समाज की तस्वीर बदलती है।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १८ /१२ / २०२१
शुक्ल पक्ष , पूर्णिमा , शनिवार
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 537 Views
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