दुःख और सुख
कोई कहता है कि
सुख, दुःख से श्रेष्ठ है।
कोई कहता है कि
दुःख, सुख से श्रेष्ठ है।
वस्तुतः दोनों ही
अभिन्न साथी हैं।
दोनों साथ-साथ ही
पैदा होते हैं।
एक जब हमारे पास
बैठ कर जागता है,
तो दूसरा
हमारी शय्या पर
प्रतीक्षा कर रहा होता है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।