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9 Nov 2021 · 1 min read

दीप एक अँधियारे में रख आना(गीत)

दीप एक अँधियारे में रख आना (गीत)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
घर के बाहर दीप एक अँधियारे में रख आना
(1)
पता नहीं अनजान कौन राहों से चलता आए
पता नहीं यह रात अमावस गहराती ही जाए
दीप दिखाता राह रात से फिर कैसा घबराना
घर के बाहर दीप एक अँधियारे में रख आना

(2)

आसमान में चाँद छिप गया नहीं चाँदनी पाते
उजियारे के बिना रात में जन सब डर-डर जाते
दीप सिखाता बिना चाँदनी के हमको मुस्काना
घर के बाहर दीप एक अँधियारे में रख आना

(3)

दीप जलेंगे हर घर के बाहर तो पँक्ति सजेगी
शहनाई – सी मधुर एक ध्वनि सारी रात बजेगी
उत्सव होगा एक गगन के तारों को दिखलाना
घर के बाहर दीप एक अँधियारे में रख आना
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 256 Views
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