दिल का दर्द
वो मंज़र कैसा होगा
जब हाँथ मेरा वो छोड़ेंगे
वर्षो के नाते पल भर में
जब वो मुझसे तोड़ेंगे
वो मंज़र कैसा होगा ———
सपनो को संजोये जीवनभर
उम्मीद लगाए बैठा था
गुज़रेंगे कभी मेरी राहो से
यह आस लगाए बैठा था
अब तोड़ के मुझसे हर रिश्ते
वो गैर से नाता जोड़ेंगे
वो मंज़र कैसा होगा ———
ग़र बात ये होती दो दिन की
फिर दिल को मै समझा देता
ख़ुशी ख़ुशी उनकी राहो में
खुद ही फूल बिछा देता
पर सात जनम का ये रिस्ता
वो किसी और संग जोड़ेंगे
वो मंज़र कैसा होगा ——
मै अपने हांथो से प्रिये
तुम्हे किसी और को दे पाऊ
दिल में नहीं हिमाक़त इतनी
मै यह रश्म निभा पाऊ
कर देना तुम माफ़ हमें
जीवन अब हम भी छोड़ेंगे
वह मंज़र कैसा होगा —–
तेरे नाम की रेखा हांथो में
शायद मेरे मौजूद नहीं
तू संग नहीं जब मेरे तो
धरती पे मेरा वजूद नहीं
बहुत थक गया हु जीवन में
अब और नहीं हम दौड़ेंगे
वह मंज़र कैसा होगा —–