दिलकशी सनम के लिए
दिलकशी सनम के लिए
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छोड़़ दी हम ने दुनिया
दिलकशी सनम के लिए
नहीं बन सकी हमसफर
वो जिंदगी भर के लिए
किया था यकीन उस पर
चाहा बेहद , इस कदर
दिल में उसको बसाया
निलय बसाने के लिए
दुनिया से चुराया था
दिल अन्दर छिपाया था
लगे ना किसी की नजर
उसे जिंदगी भर के लिए
मय सी नशीली आँखें
झील सी गहरी आँखें
जादू सा चलाया था
जिंदगी में आने के लिए
सभी बिखर गए सपने
संग उसके सजाए सपने
सुखविंद्र छूट गया साथ
जीवन में सदा के लिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)