Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

कभी खुश भी हो जाते हैं हम

कभी खुश भी हो जाते हैं हम
ग़मजदा भी हो जाते हैं कभी
ये एहसासों की दुनिया है
अलहदा भी हो जाते हैं कभी

1 Like · 35 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shweta Soni
View all
You may also like:
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम ही कहती हो न,
तुम ही कहती हो न,
पूर्वार्थ
दिल की गुज़ारिश
दिल की गुज़ारिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"कसौटी"
Dr. Kishan tandon kranti
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
प्रेमदास वसु सुरेखा
Sometimes we feel like a colourless wall,
Sometimes we feel like a colourless wall,
Sakshi Tripathi
🙅ऑफर🙅
🙅ऑफर🙅
*प्रणय प्रभात*
चाय दिवस
चाय दिवस
Dr Archana Gupta
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
Anjana banda
शब्द अभिव्यंजना
शब्द अभिव्यंजना
Neelam Sharma
ना ढूंढ मोहब्बत बाजारो मे,
ना ढूंढ मोहब्बत बाजारो मे,
शेखर सिंह
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
Dr MusafiR BaithA
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
करवाचौथ
करवाचौथ
Satish Srijan
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
सफलता
सफलता
Vandna Thakur
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
करो पढ़ाई
करो पढ़ाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चाँद खिलौना
चाँद खिलौना
SHAILESH MOHAN
“गणतंत्र दिवस”
“गणतंत्र दिवस”
पंकज कुमार कर्ण
आपकी सोच
आपकी सोच
Dr fauzia Naseem shad
🔘सुविचार🔘
🔘सुविचार🔘
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जय जय राजस्थान
जय जय राजस्थान
Ravi Yadav
मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
ruby kumari
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
Lokesh Sharma
मजदूर है हम
मजदूर है हम
Dinesh Kumar Gangwar
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
कवि दीपक बवेजा
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
कवि रमेशराज
Loading...