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2 May 2024 · 2 min read

आसान नहीं

ईश्वर ने सृष्टि सृजन के दौरान, इन्हें पुरुषार्थ वरदान में दिया था।
हर कर्त्तव्य का निर्वहन करोगे, यह प्रण इनके प्राण में दिया था।
ज्यों-ज्यों अन्य जीव निर्मित हुए, त्यों-त्यों नियम संशोधित हुए।
फिर प्राणियों के व्यवस्थित क्रम में, नर शीर्ष पर सुशोभित हुए।

कभी इनके मनोभाव को समझो, ये भी मनुष्य हैं, भगवान नहीं।
आशा के स्थान पर निराशा मिले, लड़का होना भी आसान नहीं।

बचपन में लड़कों को सिखाया, रोना-धोना तुम्हारा काम नहीं है।
फिर घरवालों ने बताया, कर्त्तव्यनिष्ठा में ज़रा भी आराम नहीं है।
जब लड़का स्कूल में पहुॅंचा, तो सारी सज़ाऍं अकेला पाता रहा।
स्कूल-कॉलेज की खींचतान में, उसका यौवन सतत जाता रहा।

वक्त के ज़ोरदार थपेड़े भी, इनसे छीन पाए इनकी मुस्कान नहीं।
आशा के स्थान पर निराशा मिले, लड़का होना भी आसान नहीं।

फिर अच्छी नौकरी की खोज में, इसने भर डाले असंख्य फॉर्म।
कभी जीवन जी पाए न मौज में, भला वो किसे करते इनफॉर्म।
नौकरी लगी तो होड़ मची, मानो कार्यस्थल पर अंधी दौड़ मची।
घर के सब सदस्यों में, शादी, खर्चों, हिसाब की तोड़फोड़ मची।

हर ख़्वाहिश को पूरा कर दें, ये ऐसी चलती-फिरती दुकान नहीं।
आशा के स्थान पर निराशा मिले, लड़का होना भी आसान नहीं।

पहले सगाई, फिर शादी, तब तक ज़िन्दगी गुज़र गई थी आधी।
विवाह के बाद संतानें हुईं, जिनसे बढ़ गई परिवार की आबादी।
लड़का फिर उसी जाल में फॅंसा, वो पुनर्गमन को देखकर हँसा।
नियति ने मुझे कड़का कर दिया, कुल में मेरे लड़का कर दिया।

बात सच्ची घटना पर आधारित, क्योंकि प्रत्यक्ष को प्रमाण नहीं।
आशा के स्थान पर निराशा मिले, लड़का होना भी आसान नहीं।

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