*** दादाजी का नयनतारा ***
।।ॐ।।
*** दादाजी का नयनतारा ***
# चलो आज कुछ हसीन पलों को दादाजी के साथ में बिताते हैं
उन गुजरे लम्हों अतीत की यादों के पन्नों को फिर से पलटते जाते हैं
# कुछ सुनी अनसुनी बातों को समेटकर हँसी ठहाके लगाके मुस्कराते हैं
धीरे से कुछ बातों ही बातों में दादाजी की पोते से फिर बहस छिड़ जाती है
# दादाजी ने पोते से कहा कि बेटा अब तुम तो बड़े हो गए जिम्मेदारी सौंपी जानी है
कुछ बनकर सामने आओ मिलकर काम सम्हालना राहत हमे दे जाना है
# ढलती उम्र का तकादा नजरें कमजोर हो चुकी आँखों से कुछ भी दीखता नही है
शरीर कमजोर ढीला सा पड़ गया ना जाने कब क्या हो जाने वाला है
# तुम्हें बड़ा आदमी बनता देखने के लिए मन को तसल्ली दे जाता हूँ
उन हसीन पलों को महसूस करने के लिए अपने इन कानों से सुनने तरस जाता हूँ
# उस पर तपाक से पोते ने बोला चिंता क्यों करते हो दादाजी कुछ बनकर दिखलाऊंगा
अपने सपनों को खोजता फिरता हकीकत में अपनी मंजिल तक पहुँच ही जाऊँगा
#अटल विश्वास दृढ़ इच्छाशक्ति की आशाओं में उम्मीद की किरणें अभी बाकी है
सारी दुनिया देखेगी आपके आशीर्वादों,दुआओं का असर अभी बाकी है।
# एक दिन आपके आशीष वचनों की पुकार सुनकर मेरा सपना सार्थक साकार हो जायेगा
सिर पर हाथों का स्पर्श से चमत्कार हो जाय फिर आपसे आकर गले लगाना बाकी है।
# उच्च पदों की कुर्सी में बैठकर अधिकारी अफसर बेटा कहलाऊँगा
इंतजार की घड़ियां नजदीक आ रही मुझे देखकर गदगद हो खुशियों की बारिश कर जाऊँगा
# दादाजी ने कहा बेटा जल्दी से अफसर बनकर कानों के सहारों से कर्णप्रिय कुछ सुन जाऊँगा
नैनो से तो बात ना होती नजरें धोखा दे गई है लेकिन कानों से सुनकर तर जाऊँगा
# ये सब बातें सुनकर पोते की आँखे भर आयी थी
नयन मूंदकर चुपके से माँ के पास बैठ आकर बोला
माँ क्या दादाजी की आँखों का कुछ हो सकता है उनकी नई आँखों की व्यवस्था कर नैनो को रोशनी दे जाते हैं
मुझे अफसर बनते देखकर उनकी आँखों में नया उजाला भर दे जाते हैं।
माँ ने फिर भीगी पलकों से बेटे को गले लगा सिर पर हाथ सहला कर बोला
बेटा तुम बड़े महान हो ,हम सभी का अभिमान हो परिवार का चिराग रौशन नई पहचान हो
दामन फैलाकर ईश्वर से करूँ फरियाद सफलता कदम चूमे मेरे बेटे तुम बड़े महान हो
# आने वाली हरेक पीढ़ीयां गर्व करेगें एक
अनोखी अदाओं की पहचान हो
चिरागों को रौशन कर उज्ज्वल भविष्य की नई दिशाओं की ओर आकर्षित नवीन ज्ञान ,मान सम्मान हो
दादाजी का नयनतारा बनकर सुखद सपनों को सार्थक साकार कर उनके दिल के अरमान हो
बुढ़ापे की लाठी का सहारा बनकर एक नई पहचान हासिल कर नई पीढ़ियों की सुखद मिसाल हो ।
*** राधैय राधैय जय श्री कृष्णा ***
*# श्रीमती शशिकला व्यास ***
## भोपाल मध्यप्रदेश #