दाग
शीर्षक -दाग
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एक सच तो यही दाग कहता हैं।
अच्छा बुरा हम सभी का दाग होता हैं।
न तेरा न मेरा कसूर बस दाग लग जाता हैं।
जीवन और जिंदगी में दाग समय देता हैं।
चाहत और मोहब्बत में भी दाग लग जाते हैं।
बस बात निभाने से दाग दूर हो जाते हैं।
एक सच और सोच हमारे दाग कहते हैं।
आजकल तो आधुनिक दाग हम सहते हैं।
बस कुछ साफ और छुपे दाग होते हैं।
जिंदगी के रंगमंच में एतबार और एहसास के दाग़ होते हैं।
हां सच जीवन में हमारे दाग भी लगे होते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र